
राष्ट्रीय महासचिव की कलम से
अपनी सांस्कृतिक विविधता व विभिन्न भाषाओं की विरासत पर हर भारतवंशी को गर्व है। हमारी संस्कृति, संस्कार, ज्ञान और परंपरा को देश-दुनिया में पहुंचाने में पत्रकारों की भूमिका अहम् है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान और भारतवंशियों को एकता के सूत्र में पिरोने में पत्रकारों का योगदान भी उल्लेखनीय है।
जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ इण्डिया (रजि.) एनजीओ के राष्ट्रीय महासचिव के पद ग्रहण करने उपरान्त मेरा, माननीय अध्यक्ष श्री अशोक कुमार शर्मा जी से कहाना था कि एनजीओ के माध्यम से हम सब एक जुट होकर पत्रकारों के उत्पीडन की समस्याओं के निदान के साथ-साथ सम्पूर्ण भारतवर्ष के सभी वर्ग, धर्माें के नागरिकों की सुरक्षा/स्वास्थ्य एवं मौलिक अधिकारों पर भी निरन्तर कार्य करते रहेंगे। इसी के साथ-साथ हमारी टीम राष्ट्रीय भाषा ‘‘हिन्दी’’ के प्रचार- प्रसार व युवओं में हिन्दी भाषा की अलख प्रज्ज्वलित करने का भी कार्य करेगी।
मेरा यह मनना है कि हिन्दी प्रिंट एवं इलैक्ट्रोनिक पत्रकारिता आज जिस मोड़ पर खड़ी है, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है, उसे अपने ही पत्रकार साथियों से तो लोहा लेना पड़ रहा है साथ ही बड़े इलेक्ट्रोनिक मीडिया व बड़े अखबारों की चुनौतियां भी उसके सामने हैं। ऐसे में यह काम और मुश्किल हो जाता है। भारत के कुछ ऐसे पत्रकार जिनकी निभर्यता, दूरदृष्टि ने ही जो पत्रकारिता के सम्मान को स्पर्श किया था, वह अब कहीं देखने को नहीं मिलते, इसकी तीन वजह हो सकती हैं, पहली अखबारों की अंधी दौड़, दूसरा व्यावसायिक दृष्टिकोण और तीसरी देश व समाज की समर्पण की भावना का अभाव। पहले अखबार समाज का दर्पण माने जाते थे, पत्रकारिता मिशन होती थी, लेकिन अब इस पर पूरी तरह से व्यावसायिकता हावी है। दरअसल, अब के संपादकों की कलम मालिकों के सोच से चलती है। यह निश्चित ही गंभीरता से सोच-विचार करने की जरूरत है। आईए ! जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ इण्डिया (रजि.) एनजीओ में हम सब एक मिशन के तहत देश व सर्व समाज को एकजुट करने का कार्य करे। इसी आशा और विश्वास के साथ ………
जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ इण्डिया (रजि.) एनजीओ के राष्ट्रीय महासचिव के पद ग्रहण करने उपरान्त मेरा, माननीय अध्यक्ष श्री अशोक कुमार शर्मा जी से कहाना था कि एनजीओ के माध्यम से हम सब एक जुट होकर पत्रकारों के उत्पीडन की समस्याओं के निदान के साथ-साथ सम्पूर्ण भारतवर्ष के सभी वर्ग, धर्माें के नागरिकों की सुरक्षा/स्वास्थ्य एवं मौलिक अधिकारों पर भी निरन्तर कार्य करते रहेंगे। इसी के साथ-साथ हमारी टीम राष्ट्रीय भाषा ‘‘हिन्दी’’ के प्रचार- प्रसार व युवओं में हिन्दी भाषा की अलख प्रज्ज्वलित करने का भी कार्य करेगी।
मेरा यह मनना है कि हिन्दी प्रिंट एवं इलैक्ट्रोनिक पत्रकारिता आज जिस मोड़ पर खड़ी है, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है, उसे अपने ही पत्रकार साथियों से तो लोहा लेना पड़ रहा है साथ ही बड़े इलेक्ट्रोनिक मीडिया व बड़े अखबारों की चुनौतियां भी उसके सामने हैं। ऐसे में यह काम और मुश्किल हो जाता है। भारत के कुछ ऐसे पत्रकार जिनकी निभर्यता, दूरदृष्टि ने ही जो पत्रकारिता के सम्मान को स्पर्श किया था, वह अब कहीं देखने को नहीं मिलते, इसकी तीन वजह हो सकती हैं, पहली अखबारों की अंधी दौड़, दूसरा व्यावसायिक दृष्टिकोण और तीसरी देश व समाज की समर्पण की भावना का अभाव। पहले अखबार समाज का दर्पण माने जाते थे, पत्रकारिता मिशन होती थी, लेकिन अब इस पर पूरी तरह से व्यावसायिकता हावी है। दरअसल, अब के संपादकों की कलम मालिकों के सोच से चलती है। यह निश्चित ही गंभीरता से सोच-विचार करने की जरूरत है। आईए ! जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ इण्डिया (रजि.) एनजीओ में हम सब एक मिशन के तहत देश व सर्व समाज को एकजुट करने का कार्य करे। इसी आशा और विश्वास के साथ ………
आपका अपना
जी.एस. बब्बर
राष्ट्रीय महासचिव
जर्नलिस्ट यूनियन आफ इण्डिया
म. 7467866555